पृथ्वी का ग्लेशियर बर्फबारी वायुमंडल (Glacier Ice Atmosphere) उस वायुमंडल को कहा जाता है जो ग्लेशियर बर्फ के ऊपर फैला होता है। यह वायुमंडल पृथ्वी के सर्दी क्षेत्रों में मिलता है, जैसे कि हिमालय और एल्प्स पर्वत श्रृंगों के आसपास। इस वायुमंडल का नामकरण ग्लेशियर्स के अधिक स्थायुप्राणियों की तरह होता है, जिनके तापमान और जलवायु वर्शन काफी अलग होते हैं।
ग्लेशियर बर्फ के वायुमंडल में हवा का दबाव कम होता है, जिसके कारण यहां का ऑक्सीजन और अन्य गैसों का मात्रा विशेष रूप से अल्प होता है। इसके साथ ही, इस वायुमंडल में ट्रैप किए गए बुद्धिमत्ता और विशेष ध्वनि प्रतिक्रिया के कारण ध्वनि के गुण भी बदल सकते हैं। यह तबका ग्लेशियर बर्फ के अधिक गहरे हिस्सों में होता है, जिसके परिपास के प्राकृतिक प्रकृति के ध्वनियों को भी प्रभावित कर सकता है।
ग्लेशियर बर्फ का यह वायुमंडल भूमिगत और आकाशीय प्रदूषण के प्रति भी अत्यंत सुरक्षित होता है, क्योंकि यह क्षेत्र अकेला होता है और इसमें मानव गतिविधियों की कमी होती है। इसके परिपास के प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए इसका महत्व होता है और इसे प्रदूषण से बचाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिगत वायुमंडल के रूप में देखा जाता है।
इस वायुमंडल का गहरापन और संरचना वैज्ञानिक अध्ययनों का विशेष ध्यान रखते हैं, क्योंकि यह हमें पृथ्वी की मौसम और जलवायु परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है। इसके अलावा, इस वायुमंडल की अध्ययन से हम ग्लेशियर्स की वृद्धि और कमी के प्राकृतिक कारणों का पता लगा सकते हैं, जिससे हमारे जलवायु परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
Why Seawater Is Foamy
समुंदर का पानी फोमी (foamy) क्यों होता है, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य कारण हैं:
- जल में तत्वों का मिश्रण: समुंदर का पानी में विभिन्न प्रकार के तत्व, जैसे कि छोटे गैस बुलें और तरल धातु या ध्वनि, होते हैं। इन तत्वों के मिश्रण के कारण, जल के सतह पर छोटी-छोटी बुलें बन सकती हैं और फोम (बुलें का समूह) का निर्माण हो सकता है।
- जल के पानी की गति: समुंदर का पानी अक्सर तेज गति से बहता रहता है, खासकर जब तट के पास बड़े प्राकृतिक प्रकोप जैसे कि तूफान या तूनामी होते हैं। इस गति के कारण, जल का पानी हवा में मिश्रित हो सकता है और बुलें बन सकती हैं, जिन्हें हम फोम के रूप में देख सकते हैं।
- जीवों का गतिविधि: समुंदर में जीवों का गतिविधि भी फोम के निर्माण में भूमिका निभा सकती है। कुछ जीवों के जीवनकाल के दौरान वे तत्वों को जल से अलग करते हैं और फोम के निर्माण में सहायक हो सकते हैं।
- तट क्षेत्र: समुंदर के तट क्षेत्रों में जल के साथ अधिक सामग्री, जैसे कि तट पूंछों से निकलने वाला और पेड़-पौधों का सामग्र, मिल सकता है, जिससे फोम के निर्माण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
इन कारणों के संयोजन के कारण, समुंदर के पानी में फोम बनता है और हम उसे समुंदर की सतह पर देख सकते हैं। यह फोम कई बार सुंदर और आकर्षक होता है, लेकिन यह बिना किसी खतरे के बनता है और आमतौर पर प्राकृतिक प्रक्रियाओं का हिस्सा होता है।
Tiny air bubbles trapped in glacier ice accelerate the rate of melting
ग्लेशियर बर्फ में फंसे छोटे हवा की बुलें (tiny air bubbles) बर्फ के पिघलने की दर को बढ़ा सकती है। यह घटना कारण और परिणाम का सामंजस्य के रूप में विवरणित की जा सकती है:
जब बर्फ ग्लेशियर के रूप में बनती है, तो वह बर्फ के रूप में नीत्रोजन, ऑक्सीजन, और अन्य गैसों की छोटी सी बुलें को भी फंसा लेती है। इन बुलों का अद्भिन्न गुण यह है कि वे दिग्धाधिगत बर्फ के बीच फंसे रहते हैं और बर्फ के क्रिस्टल संरचना में विधिविधि से फैले होते हैं।
जब सूखा और ऊंध की गर्मी की तापमान बढ़ता है, तो ग्लेशियर बर्फ पिघलने लगता है। इस प्रक्रिया के दौरान, जब बर्फ क्रिस्टल्स पिघलते हैं, तो छोटे हवा के बुले भी फट जाते हैं और उनका अंत हो जाता है। यह बुले गैसों का मिश्रण फायदेमंदी होता है, क्योंकि जब वे फटते हैं, तो गैसेस बर्फ की तरफ बड़ जाते हैं और बर्फ को गिघ्गिघा बनाते हैं, जिससे उसका पिघलने का द्रुत गति मिलता है।
इस प्रकार, ग्लेशियर बर्फ के अंदर फंसे हवा की बुलें उसके पिघलने की दर को बढ़ा सकती है और इससे ग्लेशियर के पिघलने की द्रुतता में वृद्धि हो सकती है। यह पृथ्वी के जलवायु परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि ग्लेशियर के पिघलने का द्रुत गति जलवायु परिवर्तन की एक प्रमुख प्राकृतिक प्रक्रिया है।